[बिग ब्रेकिंग] लीगल नोटिस मिलते ही यूट्यूब ने गलती मान कर माफी मांगते हुए यूट्यूब चैनल फिर से बहाल किया।
- वैक्सीन माफिया को करारा झटका।
- इंडियन बार एसोसिएशन और अव्हेकन इंडिया मूवमेंट की एक और जीत।
- यूट्यूब पर दायर होगा 1000 करोड रुपए के जुर्माने का केस।
- दुनिया भर के शोधकर्ताओं को राहत।
नई दिल्ली: वैक्सीन माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया द्वारा वैक्सीन के खिलाफ का कोई भी वीडियो या जानकारी मिटाने का और यूट्यूब चैनल डिलीट करने का काम कोरोना महामारी के शुरू से ही चल रहा था।
इस वजह से कोरोना वैक्सीन का फ्रॉड और दुष्परिणाम उजागर करने वाले शोधकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर, वैज्ञानिकों आदि के वीडियो को यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया द्वारा आम आदमी तक पहुंचाने नहीं दिया जा रहा था उसी अन्याय का शिकार बने राजीव दीक्षित अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता, वीरेंद्र सिंह ने इस फ्रॉड के खिलाफ लड़ने का निर्णय लिया और उन्होंने इंडियन बार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अँड. निलेश ओझा के वकील अँड. अभिषेक मिश्रा के माध्यम से यूट्यूब को कानूनी कारवाई का नोटिस भेजा।
नोटिस में यूट्यूब और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के कलम 500, 501, 120 (B) 34 आदि धाराओं के साथ कोर्ट अवमानना के तहत कानूनी कारवाई कर आरोपियों को जेल और वीरेंद्र सिंह को 1000 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की गई।
नोटिस में यह स्पष्ट किया गया की, यूट्यूब का काम गैरकानूनी है और उनके मुवक्किल के संविधान के आर्टिकल 19 के तहत बोलने की आजादी के संवैधानिक अधिकारियों का उल्लंघन (हनन) करने वाला है इसके साथ ही यह देश की जनता के सही जानकारी प्राप्त करने के अधिकारों का भी हनन है तथा सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों की अवमानना करने वाला है।
इसके साथ ही यूट्यूब ने यूनो (UNO) के नियम ‘यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑन बायोइथिकक्स एंड ह्यूमन राइट्स 2005′ के आर्टिकल 18 का भी उल्लंघन किया है, जिसके तहत हर औषधी और चिकित्सा पद्धति के बारे में सभी लोगों को बहस करने और अपने विचार रखने के लिए बढ़ावा देने का कानूनी प्रावधान है।
इसके अलावा यूट्यूब द्वारा केवल वैक्सीन के समर्थन में एक तरफा न्यूज़ चला कर लोगों को गुमराह कर वैक्सीन लेने के लिए प्रेरित करने के वजह से लोगों की होने वाली मौत के षडयंत्र मे यूट्यूब और गूगल को भी सह आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ हत्या के प्रयास और अन्य गुणाह करने वाले आरोपियों के षड्यंत्र को मदद करने के लिए किए गए काम की वजह से भारतीय संहिता के धारा 120 (B)और एविडेंस एक्ट की धारा 10 के तहत यूट्यूब और गूगल के सभी अधिकारियों को फांसी और उम्र कैद की सजा हो सकती है।
इन सब बातों की नोटिस मिलते ही यूट्यूब ने 6 नवंबर, 2021 को अपनी गलती स्वीकार की और माफी मांगते हुए वीरेंद्र सिंह जी का यूट्यूब चैनल फिर से बाहर कर दिया। यूट्यूब ने गलती मानने की वजह से वीरेंद्र सिंह का केस अब और भी मजबूत हो गया है। वीरेंद्र सिंह ने इस जीत का श्रेय “अव्हेकन इंडिया मूवमेंट” और “इंडियन बार एसोसिएशन” के सभी सदस्यों को दिया है और आशा जताई है कि अब लोगों तक सही जानकारी पहुंचेगी और वैक्सीन माफिया को जल्द ही जेल होगी।