टीका न लगवाने वालों के खिलाफ झूठी अफवाह फैलाने और अवमान जनक टिप्पणी करने पर ठाणे के मेयर नरेश म्हस्के के खिलाफ क्रिमिनल शिकायत दर्ज.
- मानव अधिकार सुरक्षा परिषद के महासचिव ने भेजा 50 करोड का नोटीस.
- देश के अलग अलग न्यायालयों में दायर होगी केस.
- भा.द.वि. की धारा 153-A, 505 (2), 166, 409, 120(B), 34, 109 तथा आपत्ती निवारण कानून, 2005 की धारा 51(b), 54, 55 के तहत मेयर नरेश म्हस्के और इस गुनाह में उनका साथ देनेवालों पर होगी कारवाई.
- इंडीयन बार असोसिएशन द्वारा गृह सचिव के पास शिकायत दर्ज.
नई दिल्ली:- केंद्र सरकार ने अपने लिखीत जवाब में, लोकसभा में और उच्च न्यायालय में दायर शपथ पत्र में बार-बार स्पष्ट किया है की टीका लेने वाले और नही लेने वालों में कोई भी भेदभाव नही किया जा सकता।
मा. उच्च न्यायालय ने In Re: Dinthar 2021 SCC OnLine Gau 1313 मामले में भी स्पष्ट किया की टीका लेनेवाले लोग भी कोरोना का शिकार हो सकते हैं और वो भी टीका नही लेनेवालों की तरह ही महामारी फैला सकते हैं।दोनों में कोई फर्क नही है। इसलिए उनमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नही किया जा सकता।
दुनिया भर के विश्वविख्यात विशेषज्ञों और AIIMS के डॉ. संजीव राय ने भी कहा है कि दुनिया में सबसे सुरक्षित लोग वे है जिन्हें एक बार कोरोना होकर गया है या कोव्हीड विषाणु के संपर्क में आने की वजह से जिनके शरीर में प्रतिकार शक्ति (Natural Immunity) तैयार हो गई है उन लोगों को दुबारा कोरोना नहीं हो सकता और वे लोग किसी और को रोग नहीं फैला सकते।
Link: https://youtu.be/-btDk0eSi5U
लेकिन टीका कंपनियों को हजारों करोड़ का मुनाफा पहुंचाने के लिए (कुछ भ्रष्ट नेता, अधिकारियों द्वारा) झूठे नॅरेटीव्ह, अफवाये और गैरकानूनी तरीके अपनाकर कैसे भी करके सभी नागरिकों को टीका देने का षड्यंत्र चल रहा है
ऐसे कई गैरकानूनी आदेश उच्च न्यायालय ने खारिज (Quash) कर दिए हैं। खुद महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने भी ऐसे गैरकानूनी नियम बनाने वाले महाराष्ट्र सरकार के मुख्य सचिव और औरंगाबाद के जिला अधिकारी को पहला फटकार लगाई है।
लेकिन कुछ लोगों को अब भी अकल नहीं आयी है और वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ठाणे के महापौर नरेश म्हस्के ने 15 नवंबर को टीका लेने की जबरदस्ती करने के लिए लोकल बस में टीका नहीं लेनेवालो को प्रवेश नहीं देना, महापालिका कर्मचारियों का वेतन रोकना ऐसे गैरकानूनी आदेश पारित किये। इसके साथ ही उन्होंन ‘लोकमत न्यूज़ 18′ टीव्ही चॅनल को दिये अपने इंटरव्हयू में झूठ कहा कि टीका नहीं लेनेवालो द्वारा कोरोना का फैलाव होने का खतरा रहता है मतलब केवल टीका लेनेवाले लोग ही सुरक्षित है उनका झूठ खुद सरकार के जवाब से ही साबित हो गया। उनकी टिप्पणी झूठी होने के अलावा, दो गुटों में वैमनस्य फैलाने वाली भी है इसलिए उनके खिलाफ भादवि 153-A, 505(2), 166, 409,120(B),34,109आदि धाराओं में तथा आपत्ती निवारण कानून,2005 की धारा 51(b),54,55 के तहत कारवाई की शिकायत की गई है ऐसी शिकायतें देशभर की विभिन्न अदालतों में दायर की जाने वाली है इसके अलावा मानव अधिकार सुरक्षा परिषद के महासचिव रशीद खान पठान ने भी नरेश म्हस्के को 50 करोड़ रुपये मुआवजे का कानूनी नोटीस भेजा है।
इंडियन बार असोसिएशन की लीगल सेल प्रमुख ॲड. दिपाली ओझा ने केन्द्र के गृह सचिव अजय भल्ला के पास शिकायत दर्ज कर नरेश म्हस्के और अन्य आरोपीयों के खिलाफ तुरंत एफ. आय. आर. दर्ज करने की मांग की है।
आपत्ती निवारण कानून, 2005 की धारा 38(1),39(a) के तहत किसी भी जिला प्रशासन या राज्य सरकार को केन्द्र के निर्देशों के खिलाफ जाकर नियम बनाने का अधिकार नहीं है। ऐसे अधिकारीयों को सजा के लिए धारा 51(b), 55 मे स्पष्ट प्रावधान है।
इसके पहले भी केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने केन्द्र के दिशा निर्देशों के खिलाफ काम कर राज्य में यातायात के लिए ‘ई–पास’ की सक्ती करनेवाले नियम बनाने की वजह से जिला प्रशासन एवंम राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर गैरकानूनी नियम तुरंत हटाने की बात कही थी। उसके बाद सभी राज्यों में तुरंत ही सभी गैरकानूनी आदेश वापस ले लिए थे।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद की 32 वर्षीय डॉ. स्नेहल लुणावत की मौत ‘कोव्हीशील्ड टीका’ (Covishield Vaccine) से होने की बात को सरकार की AEFI समीती ने माना है।
Link:- https://www.lokmat.com/nashik/death-female-doctor-after-vaccination-a587/
कोरोना के ‘कोवीशिल्ड’ या अन्य टीका (vaccine) लेने की वजह से होने वाली मौतें और जानलेवा दुष्परिणामों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन‘ (WHO) ने लोगों से अपील की है कि ‘कोवीशिल्ड’ टीका लेने वालों को Guillain Barre Syndrome (GBS) नामक बीमारी का खतरा है और टीका लेने वाले लोग सावधानी बरतें।
कोवीशिल्ड लेने से उत्पन्न GBS नामक बीमारी में शरीर को, मुँह को लकवा मार जाता है।
‘कोवीशिल्ड’(Astrazeneca) टीका लेने से खून की गुठलीया होकर बच्चों और युवाओं की मौत होने के मामले बढ़ने की वजह से 16 यूरोपियन देशों ने मार्च 2021 में कोवीशिल्ड (Astrazeneca) पर रोक लगा दी थी।
कॅनडा के सरकारी आरोग्य विभाग ने कोवीशिल्ड (AstraZeneca) टीके से Autoimmune Disorder के रक्त संबंधी गंभीर जानलेवा दुष्परीणामों के प्रति जनता को आगाह किया है:
कोरोना का टीका लेने वाले लोगों में दिल का दौरा पड़ने से असमय मौत के मामले सामने आए हैं।
ऐसे ही एक मामले में वसई के 23 वर्षीय युवक श्री हितेश कड़वे की मौत ‘कोव्हीशील्ड’ का टीका लेने की वजह से दिल का दौरा पड़ने से हुई है और उसकी माँ ने ‘इंडियन बार असोसिएशन’ और ‘अवेकन इंडिया मूवमेंट’ की मदद से दोषी डॉक्टर्स और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ हत्या झूठा प्रचार कर धोखे से टीका देना, सरकारी पैसा और संसाधनों का दुरुपयोग टीका कंपनियों को हजारों करोड़ रुपए का गैरकानूनी फायदा पहुंचाने के लिए करना आदि गुनाहों के लिए IPC 302, 420, 409,120(B) , 34 आदि धाराओं के तहत शिकायत दर्ज की है।
Link:https://drive.google.com/file/d/1V2UdNb483bkkOFHRYT4O6Nfyfcky3Qrv/view
टीके के दुष्परिणामों से युवाओं में दिल के दौरे की गंभीर बीमारी (Myocarditis) की वजह से केनेडा (Ontorio) ने युवाओं को कोरोना टीका लगाने पर पाबंदी लगा दी है।
अक्टूबर 2021 को स्वीडन, डेनमार्क फिनलैंड आदि यूरोपियन देशों ने टीका लेने की वजह से युवाओं में दिल के संबंधित गंभीर बीमारियां (Cardiovascular) होने की बात को गंभीरता से लेते हुए युवाओं को वह टिका देने पर पाबंदी लगा दी।
Link:-
- i)https://www.reuters.com/business/healthcare-pharmaceuticals/sweden-pauses-use-moderna-covid-vaccine-cites-rare-side-effects-2021-10-06/
- ii)https://news.yahoo.com/finland-pauses-moderna-covid-19-073018651.html?guccounter=2
स्लोवेनिया देश ने भी कोरोना टीका लेने की वजह से ब्रेन हैम्रेज (BrainHamrage) के कारण होने वाली मौत के कारण कोरोना टीके पर पाबंदी लगा दी है।
Link:– https://www.rte.ie/news/coronavirus/2021/0929/1249718-covid-global/
भारत देश में कोरोना टीका (vaccine) की वजह से होने वाली मौतें और उसके दुष्परिणामों की सही जांच करने का कोई कारगर सिस्टम ही नहीं है।इस बारे में वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट श्री. जैकब जॉन ने टाइम्स ऑफ इंडिया में अपना चिंता जाहिर की है।
अब तक मीडिया में प्रकाशीत रिपोर्ट के आधार पर यह पाया गया की टीके के दुष्परिणामों की वजह से होने वाली तकरीबन 4900 मौतें हो चुकी है।वास्तव में यह संख्या बहुत ज्यादा है क्योंकि अधिकारी दिल का दौरा आदी मौतों को इसमें नही जोड़ रहे है। यह सिर्फ टीका कंपनियों के फायदे के लिए किया जा रहा है ।
Link:https://drive.google.com/file/d/1uikc1a6_KDzUx7HNLrfwaI1NJRt0D_YP/view?usp=sharing
जबकि लाखों लोगों की मौतें दिल का दौरा और अन्य कारण दिखाकर लोगों को गुमराह करने और छुपाने का प्रयास किया जा रहा है यह काम वैक्सीन कंपनियों द्वारा भ्रष्ट अधिकारियों को रिश्वत देकर किया जा रहा है।
ब्रिटेन की डॉक्टर टेस्स लॉरी ने कोरोना टीके से होने वाले कई गंभीर दुष्परिणामों की सूची जारी की है।
इन सभी बातों से यह बात साफ है कि हम सभी को झूठ बोलकर, धोखे से, दबाव बनाकर कोरोना का टीका दिया गया या लेने पर मजबूर किया गया है और किया जा रहा है ।
इस वजह से सरकार हर टीका लेने वालों को जिन्हे आज कोई भी दुष्परिणाम भले ही ना दिख रहा है उन सभी को पूरी जानकारी ना देकर धोखे से टीका देने के गुनाह के लिए मुआवजा (हर्जाना) यानी (Compensation) देने के लिए बाध्य है। इस बारे में स्पष्ट कानून मा. उच्च न्यायालयने बनाया है:-
[Registrar General Vs. State of Meghalaya 2021 SCC OnLine Megh 130]
“7……Every human being of adult years and sound mind has a right to determine what shall be done with their body’. Thus, by use of force or through deception if an unwilling capable adult is made to have the ‘flu vaccine would be considered both a crime and tort or civil’ wrong”
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